लिखते तो सब हैं
क्या तुम महसूस कर पाए हो?
कहते तो सब हैं
क्या तुम निभा पाए हो?
अरमान जो देखा था
क्या उसे पूरा कर पाए हो?
गिले शिकवे भी बहुत हुए होंगे
क्या कफ़्फ़ारा कर पाए हो?
भुलाना तो हर कोई चाहता है
यादें मनाने की हिम्मत कर पाए हो?
ख़ुशियाँ तो हर कोई माँगता है
हमदर्दी कभी दे पाए हो?
कभी ग़म समेट कर हंसी बिखरा देना,
कुछ लम्हे बस यूँही बिता देना।